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HomeLifeमुझसे शादी न करने की एक हजार वजहें ...

मुझसे शादी न करने की एक हजार वजहें

June 9, 2016

प्रियंका दुबे

Rajasthani_Miniature_painting

जबसे मेरी जिंदगी में ‘शादी कब करोगी’ वाला सवाल घुसा है, तबसे मैं एक पीस लिखना चाह रही हूं. जिसका टाइटल हो ‘मुझसे शादी न करने के एक हजार कारण’. मैं इसे लिखना टालती गई. क्योंकि पहली बात तो इसे लिखने से मुझे डर लग रहा था. दूसरी बात, शादी के प्रेशर के बारे में तो सभी लिखते हैं. इस आर्टिकल को लिखने का मोटिवेशन असल में इस समझ के साथ आया, कि ये प्रेशर सिर्फ शादी करने का नहीं, बल्कि बड़े ही क्रमबद्ध तरीके से औरतों को उनके करियर और जीने के तरीके के बारे में लेकर हतोत्साहित करना है. ये समझा कर, कि समय रहते शादी नहीं की तो अकेली रह जाओगी.

ये कुछ समय पहले की बात है, जब मैं भोपाल में घर पे रहते हुए तहलका हिंदी में रिपोर्टर थी. एक शाम काम के बाद मैं जिम गई. वापस आई तो देखा कि एक रैंडम चाचा मुझे ‘देखने’ आए हैं, अपने बेटे से ‘रिश्ते’ के लिए. और ये तब हुआ, जब मैं बार-बार अपने मम्मी-पापा से कह चुकी थी कि मुझे शादी की बातों के बाहर रखें. मां ने मुझसे कहा कि तैयार होकर आऊं. लेकिन मैं अपने जिम वाले कपड़ों में ही कमरे में घुस गई. और पांव पर पांव रख उनके सामने बैठ गई. उन्होंने अपने ‘नेवी वाले लड़के’ के बारे में बहुत कुछ कहा. फिर कहा, ‘बेटा तुम्हें तो एडवेंचर का बहुत शौक है. तुम मेरे बेटे के साथ दुनिया घूमना पसंद करोगी?

उस समय मैं 24 साल की थी. और उस साल ये सारे काम कर चुकी थी: ड्रग्स के गैरकानूनी धंधे पर एक स्टोरी, एक जाति के आधार पर किए जाने वाली हिंसा पर, औरतों और बच्चों को बेचने पर, ऑनर किलिंग, और बुंदेलखंड में रेप और मर्डर की कहानियां कवर कर चुकी थी. कुपोषण पर एक स्टोरी करते हुए सतपुड़ा के जंगलों में घूमी थी. एक कवर स्टोरी के लिए चंबल के डकैतों से इंटरव्यू फिक्स किए थे.

मैंने अंकलजी से कहा कि मेरी जिंदगी में पहले ही बहुत एडवेंचर हैं. मुझे उनके बेटे के शिप की जरूरत नहीं है. मेरे मम्मी-पापा ने हंस कर ये जता दिया कि मैं मजाक कर रही हूं. अंकल भी हंस लिए.

रुकना कब है, ये न तय पाने की अवस्था में उन्होंने पूछा, ‘बेटा, चश्मे के बिना कुछ भी नहीं दिखता? ज़रा चश्मा उतार के दिखाओ.

मैंने अपने दोस्तों से सुना था, किस तरह ‘लड़के वालों’ ने उन्हें सैंडल उतरवा, चलवा कर देखा था कि उनकी असल हाइट का पता लग सके. लेकिन इस तरह की कोई चीज़ मेरे साथ पहली बार हुई थी. मेरा पारा चढ़ गया. मैंने अंकल से दफा होने को कहते हुए कहा, ‘मैं किसी के शौक पूरे करने के लिए अपना चश्मा नहीं उतारती. आपके लिए तो बिलकुल नहीं उतारूंगी.

* * *

मेरे रिश्तेदार कहते हैं, ‘ज़माना बदल गया है. अब मर्द पहले जैसे नहीं होते. वो किचन में मदद करते हैं. और बहुत एडजस्टिंग होते हैं. तुम्हें हर दिन खाना नहीं बनाना पड़ेगा.’

इस ‘एडजस्ट’ शब्द से मुझे नफरत होती है. इस शब्द में औरतों के लिए दया है. मैं कुछ लड़कों को जानती हूं जो इस बात से खुश हैं कि ऑफिस के बाद घर पहुंचने पर उनकी पत्नी अपने ऑफिस में होती हैं. ‘मैं घर पे पत्नी से आराम और सुकून चाहता हूं.’ ऐसा एक आदमी ने मुझसे कहा, जिससे मैं एक स्टोरी के सिलसिले में मिली थी.

अधिकतर मर्द, जिन्हें मैं जानती हूं, औरत को आराम का सामान मानते हैं. ‘उन्हें घर आते ही गर्म खाना, और उससे भी गर्म बिस्तर चाहिए’. ऐसा एक दोस्त ने कहा. दूसरी ने कहा, ‘अगर तुम अपने काम और करियर पर ज्यादा फोकस करोगी तो कोई लड़का तुम्हें पसंद नहीं करेगा. अगर तुम फेमिनिस्ट हो, तो तुमसे कोई प्यार नहीं करेगा.’ ‘नॉर्मल’ लड़की की केटेगरी भी उसी तरह बनाई गई है जिस तरह नॉन-नॉर्मल’ लड़की की बनाई गई है. इसलिए मुझे कॉन्फिडेंस नहीं है कि शादी के बाद मेरे करियर पर फर्क नहीं पड़ेगा. उन पुरुषों के मुकाबले, जो किचन में पत्नी का हाथ बंटाते है, मैंने पाया है वो औरतें कई ज्यादा संख्या में हैं जो काम करते हुए भी पूरे परिवार का ध्यान रखती हैं, सास-ससुर का ख्याल रखती हैं, डिनर के समय एक अच्छी बहू का किरदार निभाती हैं. फिर अगर मैं अपनी शादी के ऊपर अपने करियर को प्राथमिकता देती हूं, तो इसमें क्या गलत है?

* * *

मेरी मां कभी स्कूल नहीं गईं. लेकिन बाद में हिंदी में दस्तखत करना, और थोड़ी बहुत हिंदी पढ़ना सीख गईं. मेरे पिता ने 10वीं के बाद स्कूल छोड़ दिया. ट्यूशन पढ़ाकर और दूध बेचकर 12वीं के प्राइवेट एग्जाम दिए. इसके बाद पार्ट टाइम नौकरी करते हुए डिप्लोमा पूरा किया. वो मुझे पढ़ाना चाहते थे, और पढ़ाया. भले ही वो मेरी मर्ज़ी की पढ़ाई नहीं थी. लेकिन वो धीरे-धीरे मुझे समझना सीख रहे हैं. मेरी ज़िन्दगी और भविष्य के फैसलों के साथ सामंजस्य बिठाने की कोशिश कर रहे हैं.

पिछले महीने मैं एक फेलोशिप के लिए लंदन में थी. तभी एक दोस्त का मैसेज आया कि उसकी शादी हो रही है. उसकी सगाई की तस्वीरों को ज़ूम कर देखने के बाद मैंने उसे उत्साहित होकर जवाब दिया. लेकिन वो उत्साह मेरा पहला रिएक्शन भर था. मुझे पेट में अजीब-अजीब सा लगा. अब मैं अपने पूरे फ्रेंड सर्कल में अकेली सिंगल लड़की बची हूं. मुझे अचानक प्रेशर महसूस हुआ, 28 की उम्र में शादीशुदा न होने का. शायद मैंने गलत फैसले लिए. कहीं ऐसा तो नहीं कि शादी के बारे में अपने विचारों के चलते मैं अब अकेली न रह जाऊं.

मैंने ये समझा है कि मुझे सिर्फ इसलिए शादी करने की जरूरत नहीं है कि सब कर रहे हैं. लेकिन किसी का प्यार या साथ, या फिर शादी के लिए पार्टनर खोजना? ये भी मेरे लिए आसान नहीं होने वाला. इंडिया में जवान प्रेमियों को धर्म और जाति के बाहर शादी करने पर मार डाला जाता है. लड़कियों से मां-पिता और प्रेम के बीच किसी एक को चुनने को कहा जाता है. आपके लिए शादी करना जरूरी है, लेकिन आपको प्यार करने का हक़ नहीं है.

जहां मैं पैदा हुई, बड़ी हुई, वहां से लेकर आज तक का सफ़र कठिन रहा है. लेकिन ये दौर मेरे जीवन का सबसे जरूरी समय भी रहा है. मेरे रिश्तेदार मुझसे मेरी आती हुई ‘एक्सपायरी डेट’ के बारे में के बारे में याद दिलाते रहते हैं. ये बताते हैं कि एक बार 30 साल की हो गई, तो शादी के बिना कितनी अकेली हो जाऊंगी. यहां तक कि भोपाल के साड़ी वाले, जिन्होंने मुझे छोटी उम्र से देखा है, अब मुझे साड़ी दिखाने मना कर देते हैं. अगर ऑफिस में पहनने के लिए साड़ी लेने जाऊं, तो कहते हैं ‘अब तो शादी के लिए ही साड़ी खरीदो बिटिया, देरी हो रही है. ‘मेरे घर वाले मेरे लिए दूल्हा खोजते रहते हैं. कई परिवार, जिनसे वो रिश्ते के लिए मिले हैं, उन्हें लगता है मैं ज्यादा सफल, ज्यादा स्ट्रॉन्ग औरत हूं. मैं उनके बेटे की पर्सनालिटी को दबा दूंगी. लेकिन कोई ये नहीं कहता कि लड़का लड़की से ज्यादा सफल है. बल्कि वो कहते हैं कि लड़की लकी है कि उसे ऐसा पति मिला.

मैं कैसे समझाऊं कि मैं महसूस करती हूं कि मैं लकी हूं कि मुझे मैं मिल गई हूं, अपने लिए. और खुद को पाने के बाद खोने का कोई इरादा नहीं है. ये आपके लिए मुझसे शादी न करने का पहला कारण है. आप कहें तो मैं 999 और बता सकती हूं.

Translation from English to Hindi via The Lallantop

Tags: adventure, career, marriage, parents, rishta, shaadi, work

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2 Responses to “मुझसे शादी न करने की एक हजार वजहें”

  1. Reply
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