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‘मित्रो मरजानी को उसकी पचासवीं वर्षगांठ पर पढ़ते मुझे ऐसा लगा…’

By Priyanka Dubey

कृष्णा सोबती की ‘मित्रो मरजानी’ दोबारा पढ़ कर ख़त्म कर दी और ऐसा लग रहा है जैसे हवा में हूँ. गज़ब का नशा है मित्रो के किरदार में. वह हर बार पागल कर देती है आपको. इस कदर लॉन्गटर्म में सम्मोहित कर पाने की क्षमता रखने वाला किरदार हिंदी के उपन्यासों में मैंने न देखा न पढ़ा है कभी. दुनिया की जो भी सबसे दुर्लब अफ़ीम होगी…जिसके लिए दुनिया भर की सरकारों और तस्करों के बीच जानलेवा लड़ाईया चल रहीं हो सालों से…मुझे विश्वास है उसका नशा भी कम होगा साहित्य के इस टुकड़े के सामने. मित्रो जितनी अल्हड, मासूम और प्यारी है उतनी ही ह्यूमरस, हिम्मती और निडर. और अदाएं?अदाएं तो ऐसी ऐसी और इतनी ढेर सारी की उफ़्फ़ उफ़्फ़ करते ज़बान थक जाए…अदाओं की पूरी खदान है मित्रो! जो पत्थर को भी रीझ ले अपनी मटकती कटोरी आँखों और चुटीली हाज़िरजवाबी से, ऐसी मित्रो! जो खुद को ओन और सेलेब्रेट करती हो, ऐसी मित्रो. आँखों में आग भरकर सारे समंदर की इच्छा में तड़प रहे अपने शरीर से बातें करनी वाली मित्रो. अपनी जान को जानबूझ कर खतरे में डालने के बावजूद हर रोज़ अपने अंदर की आग और प्यास नुमा खतरे को खुद की हवा देने वाली मित्रो. इस पल देखे तो आग बरसाए, उस पल बोले तो शीरी! दिफरेब मित्रो, ड्रामेटिक मित्रो, अल्ट्रा सेक्सी मित्रो, आशिक मित्रो, ठागुआ मित्रो, वर्नेब्ल मित्रो, प्रेमी मित्रो…बेहद ईमानदार मित्रो.

समाज के मोरालिटी कंपास को अपने खतरानाक और निडर व्यक्तिव्त से ही तोड़ती मित्रो. विस्तार से लिखूंगी इस किताब पर फिलहाल सिर्फ इतना की मित्रो का किरदार बहुत आकर्षक है. हैरान हूँ की इतनी अच्छी कहानी पर आज तक किसी हिंदी फिल्म राईटर या डाइरेक्टर की नजर क्यों नहीं पड़ी. मित्रो के पति के किरदार के बारे में सोचते ही इरफ़ान खान याद आते हैं. मित्रो तो रहस्य है अभी भी मेरी कल्पनाओं में. सिर्फ उसके काले बालों के छल्ले, ओढ़नी की किनारी और भूरी आँखों में लगा काजल नज़र आता है. ‘मित्रो मरजानी’ के सृजन को पचास साल पूरे हो चुके हैं. सौ पन्नों की पतली सी किताब है. जिन्हें भी हिंदी साहित्य में रूचि हो उन्हें मित्रो के साथ-साथ यह जानने के लिए भी यह किताब पढ़नी चाहिए की आज से पचास साल पहले बिना किसी हो-हल्ले के हिन्दी में जो साहसिक ओरिजिनल प्रोग्रेसिव कंटेंट लिख दिया गया था, वह समकालीन हिंदी सृजन के सामने क्या चुनौतियाँ (और सीख) पेश करता है.

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लेखिका स्वतंत्र पत्रकार हैं. 
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